Friday, June 2, 2017

एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं।
उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।
मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता..मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे.धीरे धीरे मिस को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मिस की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।
मिस को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर महसूस नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । मिस को अब इससे गंभीर चिढ़ हो चुकी थी।
पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मिस ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मिसट्रेस के पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजू की रिपोर्ट देखी तो मिस को बुला लिया। "मिस प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मिस घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ आईं।
हेड मिसट्रेस ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के हाथ मिस की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मिस ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "मिस ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" राजू ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" राजू की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है.जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। ""
राजू की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। "मिस के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे.
अगले दिन जब मिस कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता था । व्याख्यान के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मिस से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजू तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मिस ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। मिस हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मिस को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी।
उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास ।
विदाई समारोह में सभी बच्चे मिस के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मिस की टेबल पर ढेर लग गये । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये राजू लाया होगा। मिस ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं की इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद राजू भी। आखिर राजू से रहा न गया और मिस के पास आकर खड़ा हो गया। ।
कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मिस को बताया कि "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।"
समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में मिस को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर राजू का स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और मिस रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में राजू का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं।। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर राजू
साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। मिस खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां पर शादी कराने वाले पंडितजी भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर राजू समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह पुरानी शिक्षिका ने गेट से प्रवेश किया राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया। माइक हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला "दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा।।।........यह मेरी माँ हैं - ------------------------- "
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!! प्रिय दोस्तों.... इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपने आसपास देखें, राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है...........
📞 हैलो माँ !!

मैं रवि बोल रहा हूँ !!

कैसी हो 👵माँ....??

मैं.... मैं…. ठीक हूँ बेटे ये बताओ तुम और 👸बहू दोनों कैसे हो.....??

हम दोनों ठीक है !!

माँ आपकी बहुत याद आती है !! अच्छा सुनो माँ मैं अगले महीने इंडिया आ रहा हूँ तुम्हें लेने !!

क्या...??  हाँ माँ अब हम सब साथ ही रहेंगे....!!

नीतू कह रही थी 👵माज़ी को ✈ अमेरिका ले आओ वहाँ अकेली बहुत परेशान हो रही होंगी.!!

हैलो सुनरही हो 👵माँ....??

हाँ हाँ 👮बेटे "बूढ़ी आंखो से खुशी की अश्रुधारा बह निकली" बेटे और बहू का प्यार नस नस में दौड़ने लगा !!

जीवन के सत्तर साल गुजार चुकी सावित्री ने जल्दी से अपने पल्लू से आँसू पोंछे और बेटे से बात करने लगी !!

पूरे दो साल बाद बेटा घर आ रहा था !!

बूढ़ी सावित्री ने मोहल्ले भरमे दौड़ दौड़ कर ये खबर सबको सुना दी !!

सभी खुश थे की चलो बुढ़ापा चैनसे बेटे और बहू के साथ गुजर जाएगा !!

रवि अकेला आया था उसने कहा की माँ हमे जल्दी ही वापिस जाना है इसलिए जो भी 💴💰💵💷 रुपया पैसा किसी से लेना है वो लेकर रखलों और तब तक मे किसी प्रोपेर्टी डीलर से मकान की बात करता हूँ !!

मकान...?? माँ ने पूछा !!

हाँ माँ अब ये मकान बेचना पड़ेगा वरना कौन इसकी देखभाल करेगा !!

हम सबतो अब अमेरिका मे ही रहेंगे बूढ़ी आंखो ने मकान के कोने कोने को ऐसे निहारा जैसे किसी अबोध बच्चे को सहला रही हो !!

आनन फानन और औने-पौने दाम मे रवि ने 💒मकान बेच दिया !!

सावित्री देवी ने वो जरूरी सामान समेटा जिस से उनको बहुत ज्यादा लगाव था !!

👮रवि 🚕टैक्सी मँगवा चुका था !!

एयरपोर्ट पहुँचकर रवि ने कहा,👵”माँ तुम यहाँ बैठो मे अंदर जाकर सामान की जांच और बोर्डिंग और विजा का काम निपटा लेता हूँ" !!

ठीक है बेटे, "सावित्री देवी वही पास की बेंच पर बैठ गई" !!

काफी समय बीत चुका था !!

बाहर बैठी👵 सावित्री देवी बार बार उस दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसमे रवि गया था लेकिन अभी तक बाहर नहीं आया !!

शायद अंदर बहुत भीड़ होगी सोचकर👵 बूढ़ी आंखे फिर से टकट की लगाए देखने लगती !!

अंधेरा हो चुका था !!

एयरपोर्ट के बाहरगहमागहमी कम हो चुकी थी।

माजी किस से मिलना है ??

एक💂 कर्मचारी नेवृद्धा से
पूछा....??

"मेरा बेटा अंदर गया था 📧 टिकिट लेने वो मुझे  ✈ अमेरिका लेकर जा रहा है",सावित्री देबी ने घबराकर कहा !!

लेकिन अंदर तो कोई पैसेंजर नहीं है अमेरिका जाने वाली ✈ फ्लाइट तो ☀ दोपहर मे ही चली गई !!

क्या नाम था आपके बेटे का....??

कर्मचारी ने सवाल किया.....??

र......रवि सावित्री के चेहरे पे चिंता की लकीरें उभर आई !!

कर्मचारी अंदर गया और कुछ देर बाद बाहर आकर बोला माजी आपका बेटा 👮रवि तो अमेरिका जाने वाली ✈  फ्लाइट से कब का जा चुका !!

“क्या ??

👵वृद्धा कि आखो से💦 आँसुओं का सैलाब फुट पड़ा !!

बूढ़ी👵 माँ का रोम रोम कांप उठा !!

किसी तरह वापिस 💒घर पहुंची जो अब बिक चुका था !!

रात में 💒घर के बाहर चबूतरे पर ही ⛺ सो गई !!🌄

सुबह हुई तो👳दयालु मकान मालिक ने एक कमरा रहने को दे दिया !!

पति की 💴 पेंशन से 💒घर का किराया और खाने का काम चलने लगा !!

समय गुजरने लगा एक दिन मकान मालिक ने वृद्धा से पूछा ??

माजी क्यों नही आप अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ चली जाए अब आपकी उम्र भी बहुत हो गई अकेली कब तक रह पाएँगी !!

हाँ चली तो जाऊँ लेकिन कल को मेरा👮 बेटा आया तो..??

यहाँ फिर कौन उसका ख्याल रखेगा ....??

आखँ से आसू आने लग गए दोस्तों ....!!

माँ बाप का दिल कभी मत दुखाना 👬👫दोस्तों मेरी आपसे ये हाथ जोड़कर विनती है !!

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धन्यवाद आप सबका जो आपने अपना कीमती समय निकाल कर इस पोस्ट को दिया !!

'माँ' तो 'माँ' होती है...!!
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